FORMULA NO.5
For Allergic Disorders and Asthma

Denatured mucus released from frontal sinuses and poured into NASO-pharynx and pro-pharynx. When it pours into the nasal pharynx, it is called cold or Rhinitis. When it pours into oral- pharynx, then it is called Corzyea. These are due to Dust & unfavorable smell, called Allergy. Symptoms like sneezing, septet defect, nasal polyps, Headache, Migraine, Pharyngeal irritation etc.
Asthma occurs due to inflammation and obstruction of Bronchi and Trachea, which narrows the Bronchial tree and results in Dysphonia, Productive and dry cough, Lungs congestion, Deep breathing, congestive chest, weakness, Restlessness etc. The medicinal contents of this formula are useful in treating the above diseases and eradicates these problems forever.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION IS CONFIDENTIAL.

नजला, अस्थमा, ( एलर्जी ) श्वांस रोग

दमा फेफड़ों की ऐसी बीमारी होती है जिसके कारण व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई होती है। यह फेफड़ों में वायुमार्ग से जुड़ी एक बीमारी है। दमा होने पर श्वास नलियों में सूजन होकर श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। इन वायुमार्गों यानी ब्रॉनकायल टयूब्सके माध्यम से हवा फेफड़ों के अन्दर और बाहर जाती है और अस्थमा में यह वायुमार्ग सूजे हुए रहते हैं।
जब यह सूजन बढ़ जाती है और वायुमार्ग के चारों ओर मांसपेशियों के कसने का कारण बनती है और साँस लेने में कठिनाई के साथ खाँसी, घरघराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण उत्पन्न होते हैं।
खाँसी के कारण फेफड़े से कफ उत्पन्न होता है लेकिन इसको बाहर लाना काफी कठिन होता है। अनेक लोग चाहते हैं कि अस्थमा का जड़ से इलाज करें इसिलए आइए जानते हैं कि आपको अस्थमा का जड़ से इलाज करने के लिए क्या करना चाहिए।

अस्थमा या दमा क्या है? (What is Asthma?)

आयुर्वेद में अस्थमा को तमक श्वास कहा गया है। यह वात एवं कफ दोष के विकृत होने से होता है। इसमें श्वास नलियाँ संकुचित होता है जिसके कारण छाती में भारीपन का अनुभव होता है तथा साँस लेने पर सीटी जैसी आवाज आती है। आप
आयुर्वेदिक तरीके से अस्थमा का उपचार

अस्थमा के प्रकार (Types of Asthma):

  • पेरिनियल अस्थमा (Perennial asthma)
  • सिजनल अस्थमा (Seasonal Asthma)
  • एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)
  • नॉन एलर्जिक अस्थमा (Non Allergic Asthma)
  • अकुपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma)
  • एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)- के दौरान किसी विशेष चीज से एलर्जी होती है जैसे धूल मिट्टी के सम्पर्क में आते ही साँस फूलने लगती है या मौसम में बदलाव के कारण भी दमा हो सकता है।
  • नॉन एलर्जिक अस्थमा (Non Allergic Asthma) – जब कोई बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत सर्दी या खाँसी जुकाम लगने पर यह होता है।
  • सिजनल अस्थमा (Seasonal Asthma)- पूरे वर्ष न होकर किसी विशेष मौसम में पराग कण या नमी के कारण होता है।
  • अकुपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma)- यह कारखानों में काम करने वाले लोगों को होता है।

अस्थमा के लक्षण (Symptoms of Asthma in Hindi)

दमा या अस्थमा का मूल लक्षण सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके अलावा भी और लक्षण होते हैं जिनके बारे में आगे लिखा जा रहा है। इन लक्षणों की पहचान कर आप अस्थमा का उपचार कर सकते हैंः-

  • बार-बार खाँसी आना। अधिकतर दौरे के साथ खाँसी आना।
  • साँस लेते समय सीटी की आवाज आना।
  • छाती में जकड़ाहट तथा भारीपन।
  • साँस फूलना।
  • खाँसी के समय कठिनाई होना और कफ न निकल पाना।
  • गले का अवरूद्ध एवं शुष्क होना।
  • बेचैनी होना।
  • नाड़ी गति का बढ़ना।

अस्थमा को रोकने के उपाय (How to prevent Asthma in Hindi)

अस्थमा मरीजों के लिए कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • दमा के मरीज को बारिश और सर्दी और धूल भरी जगह से बचना चाहिए। बारिश के मौसम में नमी के बढ़ने से संक्रमण बढ़ने की संभावना होती है।
  • ज्यादा ठण्डे और ज्यादा नमी वाले वातावरण में नहीं रहना चाहिए।
  • घर से बाहर निकलने पर मास्क लगा कर निकलें।
  • सर्दी के मौसम में धुंध में जाने से बचें।
  • ताजा पेंट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने का कॉइल का धुआँ, खुशबुदार इत्र से जितना हो सके बचे।
  • धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों से दूर रहें।

इसके अलावा जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने पर इन दमा के प्रभाव को कम किया जा सकता है-आपको यह ध्यान रखना है।

  • गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ न खाएँ।
  • अधिक मीठा, ठण्डा पानी, दही का सेवन न करें।
  • अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
  • कोल्ड ड्रिंक, ठण्डा पानी और ठण्डी ठण्डे वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए।
    अस्थमा में हानिकारक है।

अस्थमा का घरेलू उपचार (Home Remedies for Asthma in Hindi)

घरेलू उपचार के अनुसार कई ऐसे घरेलू उपाय हैं जिनके उपयोग से अस्थमा के इलाज में मदद मिलती है। पर अस्थमा हमेशा के लिए ठीक नहीं हो पाता हैं। मगर अस्थमा रोग अनुसार प्रकृतिक आयुर्वेदिक ओषधियाँ का फार्मूला का सेवन से अस्थमा रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता हैं।

अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद मतानुसार तमक श्वास दूषित कफ से उत्पन्न होने वाला एक विकार है। कफ के आमाशय द्वारा फेफड़ो तथा श्वास नली में आने से यह रोग होता है। कफ को आमाशय में लाकर उसे चिकित्सा द्वारा बाहर निकाला जाता है। अस्थमा का जड़ से इलाज या अस्थमा का सफल उपचार (asthma ka ilaj) हो सके इसके लिए आप हमारे से पहाड़ों की प्राकृतिक ओषधियों आयुर्वेद फार्मूला सेवन करें

उत्तराखण्ड की इन औषधियों का सेवन से ऊपर लिखे रोगों को जड़मूल से ठीक करके बुढापे तक शरीर को निरोग बनाए रखेगा.

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