FORMULA NO.9
For Having Issues

For Having Issues
Healthy male and healthy female are able to bear a normal healthy baby. A baby develops from mobile, active and normal sperm. Due to some reasons, abnormal sperms are generated, sperm count reduces, watery seminal discharge occurs. Cellular pinion decreased, non-mobile, non-active sperm, unable to bear a baby. The medicinal contents of this formula are very useful which activates the testicles and increases production of semen, improves its density, mobility, and activity. Male is able to bear a baby even after 20 years of marriage. Female must be healthy for bearing a baby. Some reasons which obstruct pregnancy are:- Endometriosis, Cervicitis, Retrogradeuterus, Menstruation problems, more acidic nature of the uterus, and many other causes. The medicinal contents of this the formula is very useful for removing menstruation disorder and other problems of the uterus, and to generate fresh blood making the female to bear normal babies.

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATIONS CONFIDENTIAL.

संतानहीनता का आयुर्वेद फार्मूला संतान प्राप्ति के लिए

संतानहीनता  अर्थात् जब आप बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हों। अधिकांश पुरुष और महिलाएं यह मानते हैं कि वे बच्चे को जन्म दे सकेंगे । लेकिन सच्चाई यह है कि हर दस में से एक दंपति को गर्भधारण में कठिनाई होती है । कुछ महिलाएं तथा पुरुष बच्चा नहीं चाहते हैं । लेकिंन जो दंपति बच्चे की आशा करते हैं, उनके लिए संतानहीनता दुख, दर्द , क्रोध तथा निराशा बन जाती है ।

प्राय: ही संतानहीनता का दोष महिला के सिर पर थोंप दिया जाता है परंतु लगभग आधे मामलों में इसके लिए पुरुष जिम्मेवार होता है । कभी-कभी पुरुष इस बात पर विश्वास नहीं करता है कि यह समस्या उसेक कारण हैं, या इसके लिए दोनों जिम्मेवार हैं । वह ग़लतफ़हमी या अज्ञानता के कारण ऐसा सोच सकता है कि क्योंकि वह मैथुन क्रिया करने में सक्षम हैं, इसलिए संतानहीनता के लिए वह जिम्मेवार नहीं हो सकता । इस कारण वह अपनी जांच करने से मना कर सकता है तथा उसे इस बात पर क्रोध भी आ सकता है । अधिकतर यह इसलिए होता है, क्योंकि समाज में संतानहीनता को शर्म की निगाह से देखा जाता है और पुरुष के लिए बच्चे पैदा करना मर्दानगी की निशानी समझी जाती है ।

संतानहीनता के लिए आयुर्वेदिक ओषधियों का फार्मूला उपचार संभव हैं। इस अध्याय से आपको संतानहीनता के बारे में ठीक से जानने और उसके उपचार के बारे में पता चलेगा ।

पुरुषों में बच्चा पैदा करने में अक्षमता के कारण

वह बिल्कुल ही, या पर्याप्त मात्रा में शुक्राणु बनाने में असमर्थ हैं , या उसके सुक्राणुओं की गुणवत्ता में कमी हो । हो सकता है कि उसके शुक्राणु गतिशील न हों और वे, गर्भाशय में से तैर कर, अंडे तक पहुंचने में असमर्थ हों ।

किशोरावस्था में, या उसके पश्चात उसे कनफेड(मम्प्स) की बीमारी हुई हो जिसके कारण उसके अंडकोष (टेस्टिकलस) क्षतिग्रस्त हो गये हों । जब ऐसा हो, तो पुरुष यौन क्रिया में वीर्यपात तो कर पाता है, परंतु ऐसे वीर्य में शुक्राणु मौजूद नहीं होते हैं ।

उसके सुक्राणु लिंग से निकलते न हों, क्योंकि उसकी विर्यवाहक नली, वर्तमान या पूर्व में किसी यौन संचारित रोग के कारण बंद हो गयी हो।

उसे शुक्र कोष में खून की शिराओं में सूजन हो (वेरिकोसील) ।

उसे यौन क्रिया में कोई कठिनाई हो सकती है, क्योंकि :

उसका लिंग उत्तेजित हो कर ठीक से कड़ा नहीं होता है ।

संभोग के दौरान लिंग कड़ा नहीं रहता है ।

वह यौन क्रिया के दौरान योनि के अंदर गहराई तक जाने से पहले ही स्खलित हो जाता है ।

मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तपेदिक तथा मलेरिया जैसे बीमारियां पुरुष की संतान पैदा करने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है ।

महिलाओं के लिए संतानहीनता

महिलाओं में संतानहीनता के मुख्य कारण हैं :उसकी फैलोपियन नलिकाओं, या गर्भाशय में संक्रमण है या वे बंद हैं । नलिकाएं बंद होने से अंडा नलिकाओं में सक्रिय नहीं हो पाता है, या शुक्राणु अंडे तक नहीं पहुंच पाते हैं । गर्भाशय में संक्रमण होने, या वहां जख्मनिशान होने के कारण निषेचित अंडा गर्भाशय की अंदरूनी भित्ति से चिपक नहीं पाता है । कभी-कभी महिला को योनि से अत्यधिक स्त्राव या दर्द होता है, जो गर्भाशय तथा योनि में संक्रमण के सूचक हैं । परिणामस्वरूप, गर्भाशय की आतंरिक भित्ति पर जख्म के निशान पड़ जाते हैं, जिनके बारे में महिला को पता भी नहीं चल पाता है । वर्षों पश्चात उसे पता चलता है कि उसमें संतान पैदा करने की क्षमता नहीं है ।
जख्मों के पश्चात निशान (स्कारिंग) निम्न कारणों से हो सकते हैं :

किसी यौन रोग से संक्रमण के कारण, जिसका उपचार न हुआ हो । यह संक्रमण बढ़ते, बढ़ते गर्भाशय तथा फैलोपियन नलिकाओं तक पहुंच जाता है (“पेल्विक एन्फ्लामेंट्री डिजीज, या पी.आई.डी.”) ।

प्रसव या गर्भपात के दौरान हुई समस्याएं जिनके कारण गर्भाशय में संक्रमण या क्षति ।

योनि, गर्भाशय, नलिकाओं, या अंडाशयों की शल्यक्रिया में हुई समस्याओं के कारण ।

तपेदिक के कारण भी नलिकाओं तथा गर्भाशय की आतंरिक झिल्ली में स्कारिंग हो सकती है ।

वह अंडा उत्पन्न करने में असमर्थ है ( ओवुलेशन का न होना) । ऐसा शरीर द्वारा सही समय पर आवशयक हार्मोन न बनाने के कारण हो सकता है । अगर उसकी माहावारी का चक्र 21 दिनों या, 35 दिन से अधिक का है, तो उसे ओवुलेशन में कठिनाई हो सकती है ।

कभी कभी तेजी से वजन कम करने या शरीर का वजन बहुत अधिक होने या हार्मोन युक्त दवाइयों के सेवन से भी ओवूलेशन में कठिनाई हो सकती है ।

उसके गर्भाशय में “फाइब्रोइडस” ( एक प्रकार की गांठे) हैं । इस कारण गर्भधारण, या गर्भ को पुरे काल तक वहन करने में कठिनाई हो सकती हैं ।

मधुमेह और तपेदिक जैसी बीमारियाँ भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है ।

कार्य स्थल तथा घर में खतरे जिनसे प्रजनन क्षमता हो हानि हो सकती है। ये खतरे प्रजनन क्षमता को, सुक्रणुओं तथा अंडे के निर्माण से ले कर एक स्वस्थ शिशु के जन्म तक, अनके प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं :

गर्भ की हानि (गर्भपात)

अनेक दंपतियों के लिए गर्भधारण करना नहीं, बल्कि गर्भ को बनाए रखना एक समस्या होती है । एक दो गर्भों का नुकसान होना एक आम बात है । यह कमजोर गर्भों को समाप्त करने का शरीर का एक तरीका है । गर्भपात अदृश्य तनाव, या चोट के कारण भी हो सकता है ।
लेकिन अगर आपको 3 या अधिक बार गर्भपात हो चुका है, तो कोई समस्या भी हो सकती है जैसे :

अंडे, या शुक्राणु में खराबी

गर्भाशय के आकार में समस्या

गर्भाशय में फाइब्रोइड

शरीर में हार्मोन का असंतुलन

गर्भाशय, या योनि में संक्रमण

मलेरिया, शरीर में योनि में संक्रमण, या अन्य रोग

गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स) का विकार

गर्भपात के जोखिम के सूचक हैं :

योनि से, गर्भावस्था में, भूरे, लाल, गुलाबी रंग का रक्त जाना ।

पेट में दर्द, या मरोड़, चाहे वह कितना भी कम क्यों न हो ।

 

संतान के बिना जीवन

संतान न होने से कोई भी महिला या पुरुष दुखी, चिंतित, एकाकी, कुंठित या क्रोधित रह सकते हैं ।

जब आप ऐसा महसूस करें, तो सोचिए कि आप अकेली नहीं हैं । अनके क्षेत्रों में एक नी:संतान महिला को तंग, पीटा तथा बेइज्जत किया जाता है, या उसे छोड़ दिया जाता है और पुरुष दूसरी शादी कर लेता है ।

भारत में नी:संतान महिला को “बांझ” या “बंझनी” या “सुखी कोख” कहा जाता है। उसको उपचार के लिए अनेक रिवाजों तथा रीतियों का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है ।
महिला को तंग, पीटा तथा बेइज्जत एसे न करें और उसे छोड़े भी नहीं
लेकिन यह आवशयक हैं कि ऐसी स्थिति में दोनों जीवन साथी एक दुसरे का साथ दें । ऐसे लोगों से बात करें, जो आपके हितैषी हैं । और आयुर्वेदिक प्रमुख ओषधियों का फार्मूला उपचार से अवश्य संतान प्राप्त होगी

आवश्य

स्वस्थ पुरुष और स्वस्थ महिला एक सामान्य स्वस्थ बच्चे को सहन करने में सक्षम हैं। एक बच्चा मोबाइल, सक्रिय और सामान्य शुक्राणु से विकसित होता है। कुछ कारणों के कारण, असामान्य शुक्राणु उत्पन्न होते हैं, शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है, पानी में वीर्य स्राव होता है। सेलुलर पिनियन में कमी, गैर-मोबाइल, गैर-सक्रिय शुक्राणु, एक बच्चे को सहन करने में असमर्थ। इस सूत्र की औषधीय सामग्री बहुत उपयोगी है जो अंडकोष को सक्रिय करती है और वीर्य का उत्पादन बढ़ाती है, इसकी घनत्व, गतिशीलता और गतिविधि में सुधार करती है। शादी के 40 साल बाद भी पुरुष बच्चा पैदा करने में सक्षम होता है। बच्चे को पालने के लिए महिला का स्वस्थ होना जरूरी है। कुछ कारण जो गर्भावस्था में बाधा डालते हैं, वे हैं: – एंडोमेट्रियोसिस, सरवाइकलाइटिस, रेट्रोग्रेडेरस, मासिक धर्म की समस्याएं, गर्भाशय की अधिक अम्लीय प्रकृति, और कई अन्य कारण। इस सूत्र की औषधीय सामग्री मासिक धर्म विकार और गर्भाशय की अन्य समस्याओं को दूर करने और सामान्य बच्चों को सहन करने के लिए मादा बनाने के लिए ताजा रक्त उत्पन्न करने के लिए बहुत उपयोगी है।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखी खराबियों को दूर करके महावारी को सही करके संतान प्राप्ति की ताकत देगा तथा नया खून पैदा करके शरीर को निरोग बना और नवे महीने में संतान पैदा होगी ।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Ayurvedic Uttarakhand | Best Ayurvedic Formulas