FORMULA NO.6
For Renal Calculus (Stone)

Kidney stone, urinary bladder or gallbladder stone causes pain at corresponding regions. Symptoms like:- Dysuria, painful micturition, recurrent micturition with burning sensation, Haematuria, obstructive micturition, recurrent pyrexia, backache, pain radiates loin to the groin, Renal disorders. These also cause digestive problems like gas, Acidity, and Anaemia. The medicinal contents of this formula crush the stone and excrete it through urine and also prevents the reoccurrence of calculi formation.
THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION IS CONFIDENTIAL.

गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) की समस्या आज कल बहुत सारे लोगों में देखने को मिल रही है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 15 प्रतिशत लोगों को गुर्दे की पत्थरी की समस्या है और जिनमें से 50 प्रतिशत लोगों में इसका बीमारी का अंत किडनी के खराब होने के साथ होता है।
यह आंकड़े इस समस्या की भयावह स्थिति को बयां करने के लिए पर्याप्त हैं, लेकिन इसके बावजूद यह दुर्भाग्यवपूर्ण है कि अधिकांश लोगों को इस समस्या की पूर्ण जानकारी नहीं होती है। इसी कारण वे इसका सही इलाज नहीं करा पाते हैं। यदि उन्हें इसकी संपूर्ण जानकारी होती तो शायद वे भी इस बीमारी से निजात पा सकते। यदि आप भी इस जानकारी से वंचित हैं, तो आपको इस प्रस्तुत लेख को जरूर पढ़ना चाहिए।


क्या है गुर्दे की पथरी? (Meaning of Kidney Stone )


गुर्दे की पथरी को नेफ्रोलिथियासिस (nephrolithiasis) के नाम से भी जाना जाता है, जो खनिजों और लवणों (Salt) से बनी होती है और जिसका निर्माण मुख्य रूप से किडनी में होता है।
यह समस्या कई कारणों से हो सकती है और इसके काफी समय तक लाइलाज रहने पर यह मूत्र पथ (urinary tract) के उस हिस्से को प्रभावित कर सकती है- जो गुर्दे से मूत्राशय तक आता है।

गुर्दे की पथरी के कितने प्रकार हैं? (Types of Kidney Stone )

गुर्दे की पत्थरी मुख्य रूप से 4 प्रकार की होती है, जो निम्नलिखित हैं-

कैल्शियम स्टोन्स– अधिकांश गुर्दे की पथरी कैल्शियम स्टोन ही होती हैं, जो आमतौर पर कैल्शियम ऑक्सालेट (calcium oxalate) के रूप में होती है। ऑक्सालेट एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ है, जो भोजन में पाया जाता है और इसके साथ इसका निर्माण लीवर द्वारा प्रतिदिन किया जाता है। कुछ फलों और सब्जियों इसके साथ में नट्स और चॉकलेट में भी उच्च मात्रा में ऑक्सलेट होता है।

स्त्रावित स्टोन्स– स्त्रावित स्टोन (Struvite stones) किसी संक्रमण के कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से मूत्र पथ (urinary track) में होता है। ये स्टोन जल्दी से बढ़ सकते हैं और काफी बड़े भी हो सकते हैं।

यूरिक एसिड स्टोन्स– यह स्टोन उन लोगों में अधिक होते हैं, जो पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन नहीं करते हैं या फिर जो उच्च प्रोटीन वाला भोजन करते हैं। यूरिक एसिड स्टोन (Uric Acid Stone) महिला की तुलना उन पुरूषों में अधिक होती है, जिनके मूत्र में एसिड की मात्रा अधिक होती है।

सिस्टिने स्टोन्स– हालांकि, यह किडनी स्टोन का ऐसा प्रकार है, जो काफी कम लोगों में होता है। मुख्य रूप से यह समस्या उन लोगों में होती है, जिन्हें कोई आनुवंशिकी विकार होता है। सिस्टिने स्टोन्स (Cysteine stones) की स्थिति में सिस्टिने नामक एसिड किडनी से यूरिन में लीक हो जाता है।

गुर्दे की पथरी के लक्षण क्या-क्या होते हैं? (Symptoms of Kidney Stones )

गुर्दे की पथरी के अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इस समस्या के होने का संकेत देते हैं। अत: यदि किसी व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण नज़र आते हैं तो उसे इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए और इसकी सूचना आयुर्वेदिक राजवैद्य जी औंर डॉक्टर को तुरंत देनी चाहिए-

मूत्र करते समय दर्द होना- यह पथरी रोग होने का सामान्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को मूत्र करते समय काफी दर्द होता है।

बार-बार मूत्र आना- यदि किसी व्यक्ति को बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है, तो उसे किडनी स्टोन हो सकता है। अत: व्यक्ति को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए

उल्टी का आना- कई बार ऐसा देखा गया है कि पथरी रोग होने पर व्यक्ति को उल्टी बार-बार होती है। हालांकि, उल्टी आने को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, लेकिन इस स्थिति में व्यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ताकि उसे किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।

बुखार का होना- यदि किसी व्यक्ति को बुखार होता है, और वह किसी भी दवाई से ठीक नहीं होता है, तो उसे सूचना आयुर्वेदिक राजवैद्य जी और डॉक्टर को देनी चाहिए क्योंकि यह किडनी स्टोन का लक्षण हो सकता है।

मूत्र का रूक-रूक कर होना- यदि किसी व्यक्ति को मूत्र रूक-रूक के होता है, तो यह गुर्दे की तथरी का लक्षण हो सकती है क्योंकि यह इस समस्या के होने का संकेत देती है। इसी कारण किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए

मूत्र में खून का आना- पथरी रोग का अन्य लक्षण मूत्र में खून का आना भी होता है। अत: किसी भी व्यक्ति को इस स्थिति में कोई भी कदम बिना आयुर्वेद राजवैद्य जी और डॉक्टर की सलाह से नहीं उठाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

गुर्दे की पथरी होने के कारण क्या-क्या हैं? (Causes of Kidney Stone )

पथरी रोग कई कारणों से हो सकती है, जिसके बारे में हर व्यक्ति को पता होना चाहिए। यह समस्या मुख्य रूप से 5 कारणों से हो सकती हैं, जो इस प्रकार हैं-

अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश युक्त डाइट करना- यदि कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश वाला भोजन करता है, तो उसे गुर्दे की पथरी हो सकती है। इसी कारण व्यक्ति को ऐसा भोजन करना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, नमक या ग्लूकोश इत्यादि हो।

थायराइड का होना- यदि किसी व्यक्ति को थायराइड है, तो उसे किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। अत: थायराइड से पीड़ित व्यक्ति को इस बात की जांच करनी चाहिए ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि उसे पथरी की समस्या है या नहीं।

वजन का अधिक होना- गुर्दे की पथरी उन लोगों भी हो सकती है, जिनका वजन अधिक होता है। इसी कारण व्यक्ति को अपने वजन को नियंत्रण में रखना चाहिए।

बाइपास सर्जरी का कराना- किडनी स्टोन की समस्या उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जिसने हाल ही में बाइपास सर्जरी कराई है। ऐसा मुख्य रूप से इस सर्जरी के दुष्प्रभाव के कारण होता है।

डिहाइड्रेशन का होना- ऐसा माना जाता है कि शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी का होना काफी जरूरी होता है क्योंकि इससे आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं। अत: जो व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीता है, तो उसे पथरी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।

गुर्दे की पथरी का इलाज कैसे करें? (Treatments Of Kidney Stone )

गुर्दे की पथरी का इलाज कई सारे तरीकों से किया जा सकता है, जिनमें से प्रमुख तरीका आयुर्वेद ओषधि का फार्मूला हैं।

हमारे आयुर्वेद फार्मूले देशी दवाई के साथ में भरपूर पानी पीना और उसके साथ में बार-बार पेशाब जाने से किडनी स्टोन स्वयं निकल जाती हैं।


गुर्दे की पथरी के जोखिम क्या हो सकते हैं? (Risks of Kidney Stone )

यदि पथरी रोग का इलाज सही समय पर न किया जाए, तो यह घातक रूप ले सकती है और इसके कई सारे जोखिम हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख 5 इस प्रकार हैं-

मूत्रवाहिनी (ureters) का ब्लॉक होना- यदि गुर्दे की पथरी का इलाज समय रहते न किया जाए तो स्थिति बद-से-बदतर हो सकती है। इसके परिणामस्वरूर मूत्रवाहिनी ब्लॉक हो सकती है, जिसकी वजह से किसी भी व्यक्ति के लिए मूत्र करना कष्टदायक हो सकता है।

संक्रमण की संभावना का बढ़ना- मूत्रवाहिनी के ब्लॉक के अलावा कई बार गुप्त अंगों में संक्रमण होने की संभावना बढ़ सकती है।

गुर्दे में खिंचाव का होना- पथरी रोग के लाइलाज रहने पर किडनी की स्थिति खराब हो सकती है और उसमें खिंचाव हो सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति के गुर्दे में दर्द होता है।

किडनी का खराब होना- यदि किसी व्यक्ति की किडनी स्टोन काफी समय तक लाइलाज रहती है, तो कुछ समय के बाद उसकी किडनी खराब भी हो सकती है। हालांकि, इस स्थिति में उसे किडनी उपचार के अन्य तरीकों जैसे किडनी डायलेसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

मूत्रवाहिनी में चोट का लगना- किडनी स्टोन का सही समय पर उपचार न होने की स्थिति में इसका बुरा असर मूत्रवाहिनी पर पड़ सकता है। कई बार मूत्रवाहिनी में चोट भी लग सकती है।

ऐसा माना जाता है कि यदि किसी बीमारी का इलाज समय रहते न किया जाए तो वह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले सकती है।
यह बात गुर्दे की पथरी पर भी लागू होती है, क्योंकि इससे पीड़ित लोगों को मूत्रवाहिका (uterus) का ब्लॉक होना, कमज़ोरी महसूस होना, शरीर के अन्य अंगों में संक्रमण का होना, किडनी का खराब होना इत्यादि जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।

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