FORMULA NO.7
For Leucoderma & PSORIASIS and All Type Skin Diseases

For Leucoderma and All Type Skin Diseases
Leucoderma occurs due to nursing disorders of the skin. The weakness of digestive power of skin causes improper digestion of skin meal that forms in digestive Kapha which forms white patches.
Symptoms like small, large reddish, blackish patches appear. Skin diseases like Fungal infection, Ringworm infection, Scabies, eczema, boils etc. If not treated, these diseases convert into serious skin diseases. The medicinal contents of this formula remove these diseases from roots. 

THE METHOD AND QUANTITY OF TAKING MEDICATION ARE CONFIDENTIAL.

सोरायसिस (  Psoriasis  ) , सफेद दाग , फुलबहरी  (   LEUCODERMA   ) त्वचा रोग

अपनी गर्दन पर कुछ  बदलाव नजर आया एक छोटा सा दाग जिसका रंग उसकी त्वचा के रंग से थोड़ा हल्का नजर आता था। शुरू-शुरू में तो उसने इस दाग की परवाह नहीं की लेकिन धीरे-धीरे उसका दाग फैलने लगा तो उसके घरवाले इस बात से घबरा गए कि कहीं यह दाग कुष्ट रोग की निशानी तो नहीं। तब उन्होंने चिकित्सक से संपर्क किया और उन्हें पता चला कि यह ल्यूकोडरमा नामक चर्मरोग के लक्षण हैं।

 उसके परिवारवालों जैसे कई लोग हैं जो अक्सर सोरायसिस ,सफेद दाग को कुष्ट रोग समझने की गलती कर बैठते हैं जबकि सोरायसिस, सफेद दाग एक चर्म रोग हो सकता है जिसके बारे में जानकारी जरूरी है। अगर आप भी सफेद दाग या पैच से संबंधित किसी समस्या से परेशान हैं या इस बारे में कोई जानकारी चाहते हैं तो हम आपको चर्म रोग व सफेद दाग और सोरायसिस विशेषज्ञ आयुर्वेदिक राजवैद्य जी  से बातचीत के आधार इस बारे में जानकारी दे ।

 कोढ़ नहीं है सफेद दाग

 त्वचा पर सोरायसिस, सफेद दाग की समस्या है तो इसे कोढ़ (लैप्रोसी) समझने की भूल न करें। हालांकि कोढ़ की शुरुआत में भी त्वचा पर सफेद दाग होते हैं लेकिन वे छूने से संक्रमित नहीं होते हैं। वो सफेद दाग एक प्रकार का चर्म रोग है।

 क्यों होता है  सोरायसिस (  Psoriasis  )  सफेद  दाग

 त्वचा पर सफेद दाग या सफेद चकतों के पीछे तीन कारण हो सकते हैं- पोषक तत्वों की कमी, फंगल संक्रमण या फिर ल्यूकोडरमा (विटिलिगो) नामक चर्म रोग। आमतौर पर इनमें से ही किसी एक समस्या की वजह से त्वचा सफेद दाग या पैच हो जाते हैं जिनकी अगर सही समय पर जाँच हो, तो 100 प्रतिशत इलाज संभव है।

 पोषक तत्वों की कमी

 कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनिरल्स की कमी से भी त्वचा रोग सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डाइट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते। इसके उपचार के दौरान चिकित्सा के साथ-साथ हेल्दी डाइट पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

फंगल संक्रमण से सोरायसिस, सफेद दाग

 कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग, और सोरायसिस की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श बहुत जरूरी होता है जिसके बाद यह समस्या पूरी तरह समाप्त हो जाती है। अक्सर इसके अलाज में दो से तीन महीने तक का समय लग जाता है।   

विटिलिगो यानी सफेद दाग एक त्वचा का रोग है, इसमें इंसान के शरीर के विभिन्न स्थानों पर सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं।

 विटिलिगो यानी सफेद दाग एक त्वचा का रोग और सोरायसिस है, इसमें इंसान के शरीर के विभिन्न स्थानों पर सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। इसमें त्वचा के प्राकृतिक रंग के स्थान पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। प्रारम्भ में रोगी के शरीर पर जैसे हाथ, पांव, कोहनी, गर्दन, कमर, चेहरे, होंठ और जननांगों आदि पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे निकलते है। ये आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। इस प्रकार शरीर के विभिन्न भागों में सफेद दाग दिखाई देते हैं।

 इस सफेद दाग,सोरायसिस रोग में सफेद दाग चेहरे, होंठ, हाथ, पांव आदि पर दिखाई देने के कारण रोगी कुरूप दिखाई देता है, इस कारण रोगी तनाव, हीन भावना व डिप्रेशन में रहता है।

 कारण क्या हैं?

 त्वचा का प्राकृतिक रंग बनाने वाली कोशिकाएं जिन्हें ‘मेलेनोसाइट्स’ कहते हैं, किसी कारण से नष्ट होने लगती हैं तथा त्वचा का रंग सफेद धब्बों में दिखाई देने लगता है। विटिलिगो एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं आपस में नष्ट होनी लगती हैं। विटिलिगो में भी मेलेनोसाइट कोशिकाएं एक-दूसरे को नष्ट करने लगती हैं। इस रोग के कई कारण हो सकते हैं जैसे- आनुवांशिकी, दुर्बल्यता, बच्चों में पेट के कृमि, चिंता, तनाव आदि लेकिन अभी तक शोध में इस रोग के मुख्य कारणों का पता नहीं लगा है।

 विटिलिगो के लक्षण

 रोगी के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद दाग/धब्बे दिखाई देते हैं। कुछ रोगियों में थोड़ी खुजली पाई जाती है। धीरे-धीरे ये सफेद दाग आपस में मिलकर बड़ा धब्बा बना लेते हैं। कुछ रोगियों में धब्बों के बढऩे की गति धीमी होती है और कुछ में तेज होती है। इनके अतिरिक्त कोई विशेष लक्षण रोगी में नहीं पाए जाते।

 विटिलिगो का निदान

 इस रोग को आसानी से पहचाना जाता है। अन्य रोगों से अंतर स्पष्ट करने के लिए वुड लैम्प टेस्ट, स्किन टेस्ट और बायोप्सी की जाती है।

सोरायसिस ( Psoriasis ) सफेद दाग के प्रकार

 फोकल विटिलिगो

 इसमें छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में दिखाई देते हैं।

 म्यूकोजल विटिलिगो

 जब सफेद दाग, होंठ, आंखों की पलकों, जननांग, गुदा आदि में होते हैं, अर्थात् जिस स्थान पर चमड़ी व म्यूकस मैम्ब्रेन आपस में मिलता है।

 एक्रोफेसियल विटिलिगो

 इसमें सफेद दाग चेहरे, सिर तथा हाथ पर दिखाई देते हैं।

 यूनिवर्सल विटिलिगो

 शरीर के अधिकतर भागों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं। शरीर के बाल भी सफेद हो जाते हैं तथा रोग तेजी से बढ़ता है।

 समाज में फैली भ्रांतियां और निवारण

 

 छूत का रोग नहीं है

 माना जाता है जो सम्पर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को भी यह रोग फैलता है लेकिन यह बिल्कुल असत्य है, विटिलिगो छूत का रोग नहीं है। सम्पर्क में आने, छूने, साथ में रहने से यह रोग नहीं फैलता।

 यह रोग आनुवांशिक है

 धारणा यह है कि मां-बाप को यदि यह रोग हो तो बच्चों में भी हो जाता है। कुछ अपवादों को छोडक़र यह आवश्यक नहीं है कि माता-पिता को हो तो बच्चों में भी होता ही हो। केवल 10 प्रतिशत लोगों में ऐसा पाया जा सकता है।

 यह एक सफेद कुष्ठ रोग है

 यह धारणा भी बिल्कुल मिथ्या है। यह कुष्ठ रोग नहीं है। आम लोगों को सफेद दाग से ग्रसित रोगी से घृणा करने की अपेक्षा उन्हें मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाना चाहिए और समाज को अपनाना चाहिए।

 इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में निदान करवाकर उचित चिकित्सा लेनी चाहिए। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यदि रोग शरीर के अधिकांश भाग में फैल जाता है तथा बाल और रोम भी सफेद हो जाते है तब इस रोग को असाध्य माना जाता है। इस अवस्था में रोगी को किसी भी चिकित्सा पद्धति से निरोग नहीं किया जा सकता। ऐसी अवस्था में इस रोग को पूरी तरह से निरोग करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए और इनकी ठगी में नहीं आएं। अपना पैसा और समय बर्बाद होने से बचाएं।

 इस सोरायसिस , सफेद दाग रोग का इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा

  कुष्ठ रोग की अवस्था में बहुत ही कारगर है।

 विटिलिगो रोग से बचाव

 संतुलित भोजन, व्यायाम , योग और तनाव से दूरी।

 अपनी जीवनशैली को आरामतलब नहीं बनाकर काम में व्यस्त रहना चाहिए। खाने-पीने में अधिक चटपटा, खटाई कम लें। बच्चों के चेहरे पर हल्के भूरे दाग उदरकृमि के कारण हो जाते हैं। अत: दुर्बलता एवं कृमि की चिकित्सा लेनी चाहिये।

 चोट लगने, जलने अथवा शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होने पर शीघ्र निदान कराकर उपयुक्त चिकित्सा लेनी चाहिए। कुछ अन्य रोगों में भी हल्के सफेद दाग पाए जाते हैं। जैसे-दुर्बलता, पिटिराईसिस, कुष्ठ रोग आदि रोग , इनकी चिकित्सा करानी चाहिए।

उत्तराखण्ड की इन औषधियों को सेवन करने से ऊपर लिखे रोगों को हमेशा के लिए जड़ से नष्ट करके शरीर को शुध्द और शरीर को सोने जैसा बना देगा ।

 

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